एक ख़बर के सिलसिले में जब मैं जिले के अपर पुलिस अधीक्षक के ऑफिस में बैठा था उसी समय एक अदना सा बी एस पी का कार्यकर्ता अन्दर आता है। उसके हाथ में प्राथना पत्र की जगह मोबाइल फ़ोन होता है और उस फ़ोन पर दूसरी तरह लाइन पर कोई बी एस पी का बड़ा नेता होता है। अन्दर आते ही एस पी साहब उस बड़े नेता से बात करते है फ़ोन पर। ......
एस पी ... जय भीम सर
नेता जी... उधर से क्या कहा पत्ता नही...,
एस पी .... कैसे है सर,
नेता जी ... उधर से क्या कहा पता नही,
ठीक है सर देख लूँगा निपटा दूँगा आप चिंत्ता न करे।
वैसे ये कोई नई बात नही है। लेकिन शर्म आती है ये सब देख कर। यू पी में ऑफिसर नेताओं के आगे घुटने टेक चुके है। कोई भी एस पी अपने जिले के ऑफिसर नही बदल सकता। सिपाही से लेकर इंसपेक्टर तक की पोस्टिंग नेता कर रहे हैं। जिलाधिकारी से लेकर पुलिस कप्तान तक, सिपाही से लेकर दरोगा तक काम की दम पर नही नेताओ के रहमोकरम पर पोस्टिंग पा रहे हैं। थाने में ऍफ़ आई आर दर्ज कराना दिनों दिन मुश्किल हो रहा है। जिले का पुलिस कप्तान आई जी के आदेशों को जूते की नोक पर रखता है तो थानेदार कप्तान के आदेशों को।
नौकरशाह नौकरशाही की जगह माया और उसकी पार्टी की नौकरी कर रहा है
तभी तो वो जय हिंद की जगह जय भीम बोल रहा है।
क्या होगा यू पी का। भ्रस्ताचार चरम पर है। लोकतंत्र की जगह राजतन्त्र हावी हो रहा है।
जय हिंद।
बुधवार, 5 नवंबर 2008
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5 टिप्पणियां:
स्वागत है लिखना जारी रखें
jaisi raja vaisi police
आपका हर्दिक स्वागत है ।
कविता गज़ल के लिए मेरे ब्लोग पर पधारें है ।
bahut theek kaha aapne
swagat hai likte rahiye
samajik jagrukta ke liye likhna jaroori hai
ब्लोगिंग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है. लिखते रहिये. दूसरों को राह दिखाते रहिये. आगे बढ़ते रहिये, अपने साथ-साथ औरों को भी आगे बढाते रहिये. शुभकामनाएं.
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साथ ही आप मेरे ब्लोग्स पर सादर आमंत्रित हैं. धन्यवाद.
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